Saturday, December 20, 2008

हु मैं शायद यही

मेरा सफर मेरे लिए मायने रखता है,,
वो लोग कुछ और हैं जो मंजिल चाहते है,,,
मैं तो तन्हाई से घर को सजाता हु,,
वो लोग कुछ और है जो मेंहेफिल चाहते है,,
मैं तो अपने किरदार से ही उसका नाम पूछता हु,,
वो लोग कुछ और है तो बदले मैं हांसिल चाहते है,,,
मैं तो ज़मी से फलक तक हर शै में बिखरा हु,,
वो लोग कुछ और है जो मेरी तफसील चाहते है,,,"काश्

Monday, December 8, 2008

वो मेरा नसीब

दिल के इतने करीब रहा वो जुदा न हुआ,,
खुदा है मेरा बस इसलिए खुदा न हुआ,,
उससे करीब कोई इस ज़माने मैं न हुआ,,
वो यु हुआ मेरा के फ़िर कोई दूसरा न हुआ,,
बहलाने को दिल भी मिले,दिलदार भी मिले,,
पर न मैं किसी का और कोई मेरा न हुआ,
मैंने गुजार दी जिंदगी बगैर हमसफ़र के,,
वो मेरे सिवा रहा मगर तनहा न हुआ,
उसकी एक जिद्द पर मैंने लुटा दिए ख्वाब अपने,,
वो हकीकत मैं मिला पर रुसवा न हुआ,,
उसने रखा हिसाब हर जीज़ का ज़िन्दगी की,,
मेरा हिसाब से मेरा ज़मी और आसमा न हुआ,,
मैंने दिल को मसोसकर अपने पहल की थी “ काश,,वो ज़ख्म ही रहा मगर कभी दावा न हुआ,,,,

Saturday, December 6, 2008

मैंने ख़ुद को देखा है

मेरे चहरे से मेरा आइयेना कहता है,
तु खुश नसीब है जो मुझ में दिखाई देता है,
अब तो मैंने भी बदल दी है अपनी फितरत,
अब जो झूठा है वो ही सुच्चा दिखाई देता है,
मैं कभी जहीर न कर सका उनकी सूरत,
मैं तो वही रहा बदलती गई हकीकत,
वो नफरतों से भरे चेहरों का हुजूम,जो मुझमे ढुंढते रहे अपनी शक्सियत,
न रहा मुझमे सच दिखने का फैज़,न उनमे रहा ऑंखें मिलाने का रेज़,
मैं इनकार करू और सच दिखाऊ अगर,वो नाराज़ होकर मुझे तोड़ ही देंगे मगर,
मैं रहना चाहता हु इस दुनिया के फनाह होने तक,
देखता हु मेरी हकीकत लोग झुठलाते है कब तक,,,,”काश”