Saturday, December 6, 2008

मैंने ख़ुद को देखा है

मेरे चहरे से मेरा आइयेना कहता है,
तु खुश नसीब है जो मुझ में दिखाई देता है,
अब तो मैंने भी बदल दी है अपनी फितरत,
अब जो झूठा है वो ही सुच्चा दिखाई देता है,
मैं कभी जहीर न कर सका उनकी सूरत,
मैं तो वही रहा बदलती गई हकीकत,
वो नफरतों से भरे चेहरों का हुजूम,जो मुझमे ढुंढते रहे अपनी शक्सियत,
न रहा मुझमे सच दिखने का फैज़,न उनमे रहा ऑंखें मिलाने का रेज़,
मैं इनकार करू और सच दिखाऊ अगर,वो नाराज़ होकर मुझे तोड़ ही देंगे मगर,
मैं रहना चाहता हु इस दुनिया के फनाह होने तक,
देखता हु मेरी हकीकत लोग झुठलाते है कब तक,,,,”काश”


1 comment:

shweta pahuja said...

hey
finally tumne meri baat maan lee. thanks. bahut achcha effort hai..
good going.. all d best..
shweta