मुझे वजह मिल जाती जीने की,
मैं बेवजह यु न मरता,
एक बार ही कोई दिल तोड़ता मेरा,
एक बार ही मैं मोहब्बत करता,
मैं यु ही गुमनाम मौत के बाद,
कीसी किताब मैं बंद न होता,
मैं भी सजता डर-ऐ-दरवेश की तरह,
मैं भी खुबसूरत नगमा बनता,
मुझे समेटने मैं जहान भी थकता,
मैं यु बिखरता टूट जाने के बाद,
पर यु ही मोहब्बत न मयस्सर है”काश
है खोने का गम कुछ पाने के बाद,,,
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